Ayurveda
आयुर्वेद
आयुर्वेद :-
धरती पर जिस तरीके से विज्ञान ने तरक्की की है उसी प्रकार से कई भयानक बिमारियों ने भी तरक्की की हैं। हालाँकि हमारा चिकित्सा विज्ञान भी काफी तरक्की कर चुका है पर फिर भी कुछ बीमारियां तो इतनी खतरनाक और भयावह हैं कि उनका इलाज आज के इस विकसित युग में विज्ञान के पास भी नहीं है। पर हमारे भारत में एक ऐसा विज्ञान है जोकि कई हजार साल पुराना है और उसके पास हर तरह की बीमारी का इलाज है। हाँ आप सही समझ रहे हैं वो विज्ञान है हमारा प्राचीनतम विज्ञान आयुर्विज्ञान जो कि आयुर्वेद से बना है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटी |
आयुः + वेद = आयुर्वेद अर्थात जीवन का ज्ञान रखने वाले वेद को हम आयुर्वेद कहते हैं। आयुर्वेद के पास ऐसी कोई भी बीमारी नहीं है जिसका इलाज न हो यहाँ तक कि कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी का इलाज भी आयुर्वेद के पास है, बस इंसान जान नहीं पाता और सही समय पर आयुर्वेद के पास पहुंच नहीं पाता है, इसका एक कारण ये भी ऐलोपैथिक यानि अंग्रेजी दवाओं ने समाज की मति भ्रष्ट कर रखी है। हालाँकि ऐलोपैथिक दवाओं से पीड़ित को जल्दी आराम तो हो जाता है पर कभी कभी वो इलाज पीड़ित को कुछ समय बाद दिक्कत पैदा करते हैं। पर आयुर्वेद के द्वारा किये गए इलाज में पीड़ित को आजीवन सभी प्रकार की दिक्कतों से मुक्ति मिल जाती है।
आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति :
आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति बहुत प्राचीन है देवता भी इस पद्धति का इस्तेमाल करके पीड़ित का इलाज करते थे।
आपको भी पता होगा कि रामायण में जब लक्ष्मण जी को रावण के पुत्र मेघनाद ने बरछी मारी थी तो लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे तो हनुमान जी लंका से वैद्य राज सुषेण को लेकर आये थे जिन्हे आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान था।
उन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से जड़ी बूटियों को पीस कर लक्ष्मण जी को पिलाया था तो लक्ष्मण जी को होश आया था। आयुर्वेद का सन्दर्भ ऋग्वेद और अथर्ववेद में भी मिलता है और आप सभी जानते हैं कि ये सारे ही वेद कई हजार वर्ष पुराने हैं जिससे ये आयुर्वेद भी कई हजारों वर्ष पुराना हो गया।
आयुर्वेद का इतिहास :
आयुर्वेद का इतिहास ब्रह्मा जी के समय से है। सबसे पहले प्रजापति ने ब्रह्मा जी से इस अनमोल ज्ञान का अध्ययन किया फिर इसमें परिपक्व होने के बाद उन्होंने यह ज्ञान अश्विनी कुमारों को दिया और उनसे इंद्र ने और अंततः इंद्र से भरद्वाज जी ने इस ज्ञान का अध्ययन किया। फिर भरद्वाज जी ने इसका घोर अध्ययन करके लम्बे समय तक सुखी रहने और आरोग्य रहने का लाभ उठाकर इसका प्रचार प्रसार ऋषि मुनियों में किया। फिर ये श्रृंखला यूं ही आगे बढ़ती चली गयी। अतः आयुर्वेद का इतिहास जितना पुराना है उतना ही कारगर भी है। ब्रह्मा जी ने आयुर्वेद को पूरे 8 भागों में विभाजित किया था और हर भाग को एक अलग तंत्र (System) का नाम दिया था जो कि निम्नलिखित हैं -
- शल्यतंत्र (Surgical Techniques)
- शालाक्यतंत्र (ENT)
- कायचिकित्सा (General Medicine )
- भूतविद्यातन्त्र (Psycho - Therapy)
- कुमारभृत्य (Pediatrics)
- अगदतंत्र (Toxicology)
- रसायनतंत्र (Rejunvention & Geriatrics)
- वाजीकरण (Virilification, Science of Aphrodisiac & Sexology)
अब तो आप सब समझ ही गए होंगे की दुनिया के किसी विभाग में ऐसी कोई भी बीमारी नहीं है जिसका इलाज आयुर्वेद के पास न हो।
आयुर्वेद इलाज के फायदे :-
वैसे तो आयुर्वेद के इतने सारे फायदे हैं कि इन्हे गिन पाना सम्भव नहीं है पर फिर भी आयुर्वेद का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके उपयोग से शरीर निरोगी होता है शरीर को यह जानने समझने में मदद मिलती है कि उसके लिए कौन सा भोजन आवश्यक है किस प्रकार की वायु उस शरीर के लिए आवश्यक है क्योकि जब शरीर इन सभी चीजों से सामंजस्य बैठा लेता है तो वह आजीवन स्वस्थ हो जाता है। इनमें किसी भी प्रकार का कोई हानिकारक तत्व नहीं होता है जिस कारण इसका इलाज सुगम और सुरक्षित होता है। ये तो आप सभी जानते हैं कि आयुर्वेद कितना प्राचीन है तो इतना पुराना विज्ञानं होने की वजह से इसके पास अनुभव भी बहुत है जिस कारण यह आज भी प्रसिद्ध है और दिन दूना रात चौगुना तरक्की कर रहा है।
आयुर्वेद के नुकसान :-
वैसे तो आयुर्वेद पूरी तरह से प्राकृतिक है क्योंकि प्रकृति ने हमें जो भी गुणकारी पेड़ पौधे या जड़ी बूटियां दी हैं उन्हीं के इस्तेमाल से आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण होता है परन्तु फिर भी यदि कोई इसे बिना किसी योग्य व्यक्ति के परामर्श के उपयोग करता है तो ये हानिकारक भी हो सकती है। इसमें कई प्रकार की भिन्न भिन्न थेरेपी होती है अगर किसी व्यक्ति को पूर्ण जानकारी नहीं है तो इसका दुष्प्रभाव भी होता है। अतः परामर्श यही है कि किसी भी दवा या इलाज से पूर्व किसी योग्य की सलाह अथवा परामर्श जरूर लें।
आयुर्वेदिक दवा :-
भारत के घने जंगलों में कई प्रकार के चमत्कारी पेड़ पौधे हैं जिनकी जड़ों, छालों, पत्तियों आदि में कई तरह के गुणकारी तत्व पाए जाते हैं जिन्हे पीस करके आयुर्वेदिक दवा का निर्माण होता है। हमारे शोधकर्ता निरंतर ही ऐसे गुणकारी पेड़ पौधों के ऊपर शोध किया करते रहते हैं। आयुर्वेदिक दवाएं पाउडर के रूप में या गोली के रूप में या तरल पेय के रूप में होती हैं।
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